पूर्व के अनुभव से एक बात कह सकता हूँ की विकट परिस्थितियों के लिए कुछ पैसे जरूर रहना चाहिए... अन्यथा ऐसी लाचारी का भाव उत्पन्न होता है जिसे बयान नहीं किया जा सकता।
आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
Saturday, September 30, 2017
Monday, September 4, 2017
एक ज्वलंत प्रश्न!
एक ज्वलंत प्रश्न !
दुष्कर्म और कुकर्म के खिलाफ
सामूहिक आवाज कब उठेगी ?
कृत्रिम मिथक अब टूट जाने चाहिए
आखिर कबतक सताते रहेंगें !
क्या शारीरिक सौन्दर्य ही
उसकी सबसे बड़ी पूंजी है ?
क्या वह सिर्फ और सिर्फ
वस्तु बनके रह गयी
का हे की आधुनिकता !
शक्तिरूपा का केवल गुणगान
अब नहीं करना
व्यवहार में हस्ती का निर्माण
कब होगा ?
समाज के सामने एक ज्वलंत प्रश्न !
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