आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Monday, March 17, 2014
गाँव में पहले एक गाना भी सुनने को मिल जाता था.….
“राम जी की चिरिया, रामजी का खेत।।
खाय ले चिरिया, भर-भर पेट।।
अब यह गाना कहीं भी सुनने को नहीं मिलता। सच!! कितना बदल गया सबकुछ …
एक अनजान आदमी
नदी की धारा के साथ बहता हुआ
कल्पनातीत ख्यालों में डूबा
लहरों से बातें करता हुआ
थपेड़ों को चीरता
चला जा रहा है !
अचानक
कुछ सकुचाता हुआ
लहरों को छू लिया
अब व्यग्र हो सोच रहा
कहीं लहरें मैली तो नहीं हो गयी
उसके स्पर्श से !