पानी का रंग कैसा! आज पता ही नहीं चलता .कभी शुद्ध हवा और पानी मिला करता था ,हमारे बुजुर्ग बताते है की वे कुआँ और तालाब का पानी भी पी लेते थे . हालांकि वह कोई अच्छा काम नहीं था फिर भी इतना तो तय है, की आज की तरह पानी दूषित तो नहीं रहता होगा .
अभी एक योजना के तहत लवणीय जल को मीठे जल में बदल कर पेय जल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है .यह बहुत ही खर्चीला पड़ेगा पर इसके अलावा हमें कोई दूसरा उपाय छोड़ा कहाँ है ? पर इतना खर्च एक गरीब राष्ट्र के लिए करना संभव नहीं है .अतः यह तय है की भविष्य में गरीबों को शुद्ध पानी नहीं मिलने वाला .
बोतल बंद पानी का दाम भी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ ही रहा है और भूमिगत पानी का क्या हाल है ? एक अनजान आदमी भी बता सकता है .