Saturday, July 30, 2011

दिल बेचैन सा है...........

अभी तक चेहरा जेहन में है । दिल बेचैन सा है ... कुछ सूझ नही रहा । पता नही ऐसा क्यों है । सोचता हूँ , आकर्षण किसी एक से बंधकर नही रहता । उसमे चंचलता कूट कूट कर भरी हुई है । पर यह चंचलता ठीक नही है । अब जाकर जाना ।

Saturday, July 9, 2011

मुहब्बत की तितली

कुछ ख़ास था
वो पल
आसमान में लालिमा
आंखों में आईना
प्रेम का ये जहाँ
एक बाग़ में हम
और मुहब्बत की तितली
जब तुम मिली .........
हाय ..वो पल ...

Sunday, July 3, 2011

....और भटक गया !

....अपने को ही पहचान न सका
....और भटक गया
मेरी ज़िन्दगी में कुछ भी खुबसूरत नही
..जो कुछ था उसे भी बहता पाया
....अपने को ही पहचान न सका

दर्द के वीराने में .....
भटकता ही रह गया
कुछ ढूढता ही रह गया
....और एक कंकड़ भी न पा सका