Friday, April 10, 2009

सबेरा

नर्म सबेरा कभी रूह में शामिल था । अब पास भी नही फटकता । कहीं दूर ... चला गया ।
आज भी सबेरा निकलता है । रूप बदल कर । जिसे हम गर्म सबेरा कहते है ।
हमारी प्रकृति में इतना बदलाव ! हजम नही होता ।

No comments:

Post a Comment