Wednesday, April 15, 2009

पारंपरिक पहनावा

कुछ भी हो जाय , हमें पारंपरिक पहनावे को जिन्दा रखना है । यही तो हमारी संस्कृति और तहजीब की निशानी है । पश्चिम की अंधी दौड़ में हम अपने विरासत से खिलवाड़ नही कर सकते । यही तो हमारी पहचान है ।ये हमें भारतीय होने का अहसास दिलाते है । । अगर हमने भारतीयता से मुंह मोड़ लिया तो हमारा आत्मसम्मान रसातल में होगा । तब हम न घर के रहेंगे और न घाट के ।

2 comments: