Thursday, April 9, 2009

नानी का गाँव

नानी का गाँव । जन्म भी ननिहाल में ही हुआ । पढ़ाई भी वही हुई । भैस भी चराई ।खूब मट्ठा भी पिया । मीठे की भेली चुराई । डंडें भी खाया । खूब दोस्त भी बनाए । सब के सब लफंगें। लफंगों की लिस्ट में नंबर वन भी आया । जिंदगी के सुनहले दिन ननिहाल में ही बीतें । आज फ़िर नानी का गाँव याद आया ।

1 comment:

  1. सचमुच । सच ही कहा है कि जिन्दगी के सफर मे गुजर जाते है जॊ मुकाम वॊ फिर नहीं आते।। बस यादे रह जाती हैं

    ReplyDelete